tag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post6304241102994824907..comments2023-08-10T08:36:45.155-07:00Comments on समस्या पूर्ति मंच: पहली समस्या पूर्ति - चौपाई - आचार्य श्री संजीव वर्मा 'सलील' जी [2]www.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-41238523693885767102011-02-18T02:00:35.309-08:002011-02-18T02:00:35.309-08:00बहुत रोचक...बहुत रोचक...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-79894905673434380632011-02-17T21:55:00.446-08:002011-02-17T21:55:00.446-08:00वाह। सचमुच आनंद आ गया।वाह। सचमुच आनंद आ गया।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-46930007295993385072011-02-17T20:18:30.644-08:002011-02-17T20:18:30.644-08:00rochak laga aapka prayas .fir aate hai yahan .rochak laga aapka prayas .fir aate hai yahan .Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-13581240358984033552011-01-22T02:44:11.196-08:002011-01-22T02:44:11.196-08:00नवीन जी!
स्थानांतरण से उपजी अस्त-व्यस्तता के कारण ...नवीन जी!<br />स्थानांतरण से उपजी अस्त-व्यस्तता के कारण नियमित उपस्थिति संभव नहीं हो पा रही है. फिर भी यथासंभव जुड़े रहने का प्रयास है. प्रविष्टियों पर तत्काल या बीच में टीप न कर समस्यापूर्ति का विश्लेषण अंत में आप करें और हर प्रविष्टि की खूबी और खामी का विवेचन करें. इससे प्रविष्टिकारों को मार्गदर्शन मिलेगा. मेरी चौपाई की समस्यापूर्ति की विशेषता हर चरण में 'ते हो तुम' की पदांतत -तुकांतता बनाये रखना है.<br /><br />नियमानुसार आप बता ही चुके हैं कि चौपाई १६ मात्राओं के चार चरणों (पहले-दूसरे चरणों के अंत में समान शब्द आते हैं और तीसरे-चौथे चरणों के अंत में समान शब्द) से बनती है. यह एक अभिनव प्रयोग है जो चौपाई के शैल्पिक नियमों के अंतर्गत अनिवार्य नहीं है. यहाँ चौपाई और मुक्तिका के शैल्पिक नियमों के सम्मिश्रण से 'ते हो तुम' के दुहराव से नाद सौन्दर्य में वृद्धि हुई है. विषय विशेष पर केन्द्रित होना इस प्रविष्टि का अन्य वैशिष्ट्य है. सामान्यतः चौपाई के विविध चरण विविध विषयों से सम्बद्ध होते हैं.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-51955585974548934412011-01-21T12:49:17.600-08:002011-01-21T12:49:17.600-08:00चूहे-चूजे को मिला, हैं नवीन जी मस्त.
सज्जन कंचन मि...चूहे-चूजे को मिला, हैं नवीन जी मस्त.<br />सज्जन कंचन मिल रखें, सलिल-शीश पर हस्त.<br />ज्यों मयंक बिन ज्योत्सना, हो जाती है त्रस्त.<br />चौपाई-दोहे बिना त्यों, कविता हो लस्त..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-17857415094215944092011-01-20T21:31:12.234-08:002011-01-20T21:31:12.234-08:00आचार्य जी का विषय "विशिष्ट" है --भाषाप्र...आचार्य जी का विषय "विशिष्ट" है --भाषाप्रवाहमयी है और प्रस्तुति सरस है --मैं आप सभी बुद्धिजीवियों को नमन करता हूँ -"काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम" --आप लोग आनन्द लें --मैं तो खैनी दाब के अब निद्राग्रस्त होने जा रहा हूँमयंक अवस्थीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-5460732525089859192011-01-17T22:28:46.971-08:002011-01-17T22:28:46.971-08:00धर्मेन्द्र भाई टंकण दोष के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ|...धर्मेन्द्र भाई टंकण दोष के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ| आपकी पैनी नज़र को सलाम मित्र|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-32545780861735015842011-01-17T22:18:37.116-08:002011-01-17T22:18:37.116-08:00आचार्य जी का तो वाकई कोई जवाब नहीं है। और उनकी यह ...आचार्य जी का तो वाकई कोई जवाब नहीं है। और उनकी यह रचना ‘चूहे’ पर नहीं ‘चूजे’ पर है।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-80813951212271210142011-01-17T07:49:08.916-08:002011-01-17T07:49:08.916-08:00बहुत - बहुत धन्यवाद के साथ -
चूहे जैसा विषय उठाया...बहुत - बहुत धन्यवाद के साथ -<br /><br />चूहे जैसा विषय उठाया । <br /><br />सबके दिल को है हरषाया ॥ <br /><br />आचार्य वर्मा श्री संजीव । <br /><br />विषय काव्य का नन्हा जीव ॥ <br /><br />ऐसी रचना रचते हो तुम । <br /><br />मुझको अच्छे लगते हो तुम ॥Dr.Uma Shankar Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/14992078946409054642noreply@blogger.com