tag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post2156016640662072307..comments2023-08-10T08:36:45.155-07:00Comments on समस्या पूर्ति मंच: फिल्मी गानों में अनुप्रास अलंकारwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-79845097124906951572011-09-25T09:49:04.246-07:002011-09-25T09:49:04.246-07:00आदरणीय नवीन जी,
मेरे पास अनुप्रास के छठे भेद के ए...आदरणीय नवीन जी, <br />मेरे पास अनुप्रास के छठे भेद के एकाधिक उदाहरण हैं.. और भी कई नवीनतम अलंकार गढ़े बस इसलिये नहीं कहता कि इस तरह के प्रयासों को कोई महत्व नहीं मिलता इसलिये इस अभिरुचि को मन में ही सुलाए हूँ. आपका अनुरोध 'हरिगीतिका' छंद के लिये मिला ... केवल इतना ही कहूँगा जबरन लिख तो लिये हैं... लेकिन स्वयं ही उनको रिजेक्ट भी कर दिया है... जब तक खुद को संतुष्टि नहीं मिलती तब तक पोस्ट रूप में भेजने का मन नहीं. क्षमा भाव के साथ... यदि कुछ संतोषप्रद रच पाया तो अवश्य प्रेषित करूँगा.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-24906554356747071832011-09-25T09:40:56.585-07:002011-09-25T09:40:56.585-07:00अनुप्रास का छठा भेद 'अंत्यारंभ अनुप्रास'
_...अनुप्रास का छठा भेद 'अंत्यारंभ अनुप्रास'<br />____________________________<br /><br />—: प्रियतमे मेघ घनघोर रहे :—<br /><br />कैसे आता मैं मिलने को<br />सब मेरा रस्ता रोक रहे.<br />अपशकुन हुआ आते छींका<br />कुछ रुका, चला फिर टोक रहे.<br /><br />मन मार चला बिन ध्यान दिए<br />ठोकर खाईं पाषाण सहे.<br />पर मिलना था स्वीकार नहीं<br />ईश्वर भी रस्ता रोक रहे.<br /><br />पहले भेजा उद्दंड पवन<br />करते उपाय फिर नये-नये.<br />दिक् भ्रम करते कर अन्धकार<br />पहुँचा वापस वो सफल भये.<br /><br />विधि के हाथों मैं हार गया<br />'दिन हुआ दूज' खग-शोर कहे.<br />फिर भी निराश था मन मेरा<br />"प्रियतमे, मेघ घनघोर रहे."<br /><br />*'रस्ता' शब्द का सही शब्द 'रास्ता' है. कविता में मुख सुविधा के लिये रस्ता शब्द लिखा है. <br />[अंतिम पंक्ति में अनुप्रास का छठा भेद 'अंत्यारंभ अनुप्रास' है. प्रचलित पाँच भेदों से अलग तरह का भेद जिसमें 'जिस वर्ण पर शब्द की समाप्ति होती है उसी वर्ण से अन्य शब्द का आरम्भ होता है.'] <br />यह छठा भेद 'मेरी काव्य-क्रीड़ा' मात्र है. इसे आप लोग ही मान्यता देंगे.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-36483843811289224672011-06-14T10:56:15.146-07:002011-06-14T10:56:15.146-07:00मुझे अनुप्रास अलंकार के भेदों के बारे में नहीं माल...मुझे अनुप्रास अलंकार के भेदों के बारे में नहीं मालूम था <br />इस जानकारी के लिये बहुत बहुत धन्यवादइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-39195426152833755832011-06-14T06:01:34.227-07:002011-06-14T06:01:34.227-07:00एक दम नयी और अनूठी जानकारी मिली है आज आपकी इस पोस्...एक दम नयी और अनूठी जानकारी मिली है आज आपकी इस पोस्ट से...धन्यवाद.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-38340813961310152362011-06-14T04:33:36.543-07:002011-06-14T04:33:36.543-07:00कई सारे संदेह जो अलंकारों को लेकर थे मेरे मन में य...कई सारे संदेह जो अलंकारों को लेकर थे मेरे मन में यह पोस्ट पढ़कर दूर हो गए। नवीन भाई को और आचार्य जी को बहुत बहुत बधाई।‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-12156845502068177702011-06-14T04:17:36.105-07:002011-06-14T04:17:36.105-07:00बहुत लाजवाब ... नयी नयी बातें सीखने को मिल रही हैं...बहुत लाजवाब ... नयी नयी बातें सीखने को मिल रही हैं ... आपको और आचार्य जी को बधाई ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-12916336432021338622011-06-14T01:24:49.294-07:002011-06-14T01:24:49.294-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6860246720244916718.post-52935918870268652412011-06-13T22:06:01.714-07:002011-06-13T22:06:01.714-07:00अपके और आचार्य सलिल जी के ग्यान को नमन।अपके और आचार्य सलिल जी के ग्यान को नमन।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com