सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
लो आ गयी बेला दोहा छंद पर दूसरी समस्यपूर्ति के श्री गणेश की| सर्व प्रथम, चौपाई छंद पर पहली समस्या पूर्ति पर अपनी अपनी रचनाएँ भेजने वाले एवं उन रचनाओं पर अपनी टिप्पणी रूपी पुष्पों की वर्षा करने वाले सभी कला प्रेमियों का अभिनंदन|
पहली समस्या पूर्ति का अनुभव काफी उत्साह प्रद रहा, बस एक छोटी सी बात जो दिल में खटकी थी, वो थी नारी शक्ति की अनुपस्थिति| माँ शारदे ने इस बार हमारी प्रार्थना सुन कर पहली दो पूर्तियाँ महिलाओं द्वारा ही भिजवाई हैं|
अनुभूति, अभिव्यक्ति एवं नवगीत की पाठशाला यानि पूर्णिमा वर्मन जी| अंतर्जाल पर साहित्य के प्रति आपके समर्पण को भला कौन नहीं जानता| सब से पहले आपके दोहे प्राप्त हुए हैं| तो आइये पढ़ते हैं पुर्णिमा जी के दोहे:-
जोश, जश्न, पिचकारियाँ, अंबर उड़ा गुलाल|
हुरियारों की भीड़ में, जमने लगा धमाल|1|
शहर रंग से भर गया, चेहरों पर उल्लास|
गली गली में टोलियाँ, बाँटें हास हुलास|2|
हवा हवा केसर उड़ा, टेसू बरसा देह|
बातों में किलकारियाँ, मन में मीठा नेह|3|
ढोलक से मिलने लगे, चौताले के बोल|
कंठों में खिलने लगे, राग बसंत हिँदोल|4|
मंद पवन में उड़ रहे, होली वाले छंद|
ठुमरी, टप्पा, दादरा, हारमोनियम, चंग|5|
नदी चल पड़ी रंग की, सबका थामे हाथ|
जिसको रंग पसंद हो, चले हमारे साथ|6|
घर घर में तैयारियाँ, ठंडाई पकवान|
दर देहरी पर रौनकें, सजेधजे मेहमान|7|
नगर नगर झंकृत हुआ, दुनिया हुई सितार|
सर पर चढ़कर बोलता, होली का त्यौहार|8|
मन के तारों पर बजे, सदा सुरीली मीड़|
शहरों में सजती रहे, हुरियारों की भीड़|9|
होली की दीवानगी, फगुआ का संदेश|
ढाई आखर प्रेम के, द्वेष बचे ना शेष|10|
दूसरी समस्या पूर्ति मिली है आदरणीय निर्मला कपिला जी से| वर्ष 2009 में श्रेष्ठ कहानी के 'संवाद' पुरस्कार तथा वर्ष 2010 के लोक संघ परिकल्पना सम्मान [कथा-कहानी] को प्राप्त करने वाली आदरणीया निर्मला जी के ब्लॉग वीर बहूटी से हम में से अधिकांश लोग परिचित हैं| उन के अनुसार उन्होने जीवन में पहली बार ही दोहे लिखे हैं| ओहोहोहों निर्मला जी आप के जीवट को सादर प्रणाम| आइये पढ़ते हैं उन के दोहे:-
लाज शर्म को छोड कर, लगी पिया के अंग|
होली खेली प्रीत से, देख हुये वो दंग|1|
होली होली खेलते, लाल हुये हैं गाल|
सडकों पर करते युवा, देखो खूब धमाल|2|
होली के त्यौहार पर, झूमें गायें लोग|
घर घर मे हैं पक रहे, मीठे छ्प्पन भोग|3|
कोयल विरहन गा रही, दर्द भरे से गीत|
रंग लगाऊँ आज क्या, दूर गये मन मीत।|4|
होली के त्यौहार पर, सखियाँ करें पुकार|
होली खेलो साथ मे, लला श्याम सुकुमार|5|
धूम मची चारों तरफ, होली का त्यौहार|
कौन करे बिन साजना, रंगों की बौछार|6|
समस्या पूर्ति की पंक्ति को आपने 2 रूपों में 3 स्थानों पर प्रयोग में लिया है| क्या बात है निर्मला जी|
तो देखा, कितने सुंदर दोहे भेजे हैं इन दो कवियत्रियों ने| अब आप की बारी हैं इन दोहों पर प्रशंसा के पुष्पों की वर्षा करने की| आपके दोहों की प्रतीक्षा है| जानकारी वाली लिंक एक बार फिर रेडी रिफरेंस के लिए:- समस्या पूर्ति: दूसरी समस्या पूर्ति - दोहा - घोषणा|
वाह भाई वाह, शानदार दोहे लिखे हैं दोनों ही कवियत्रियों ने। पूर्णिमा जी और निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंआदरणीय पूर्णिमा जी एवं निर्मला जी !! बहुत सुन्दर दोहे पढवाने के लिए आपका बहुत शुक्रिया | होली की उमंग और प्रिय का विरह क्रमश: बहुत सुन्दर बन पड़ा है | आपको बहुत बहुत बधाई !!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक भावाभिव्यक्ति.सराहनीय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंDonon kaviyatriyon ko salaam...holi ke bhavon ko parosne ke liye...kuchh is tarah ke charon aur holi dikhane lage. Har ek kandika ki kriyaa jaise saamne ghatit ho rahen ho...
जवाब देंहटाएंनवीन जी धन्यवाद। समस्या पूर्ती से ही दोहे लिखने सीखे हैं। रविकान्त जी सलिल जी व शास्त्री जी का भी धन्यवाद। उनके आलेख पढ कर ही लिखने का विचार आया। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआदरणीया निर्मला जी ये आप का बड़प्पन है| आप के उत्साह को देख कर हम लोगों को कुछ न कुछ करने की प्रेरणा मिलती रहती है|
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा जी और निर्मला जी के दोहे पढकर मन प्रसन्न हो गया। होली के रंगो से सराबोर शानदार प्रस्तुति के लिए दोनों सम्माननीय कवियत्रियों को बधाई ।नवीन जी , इन उत्तम रचनाओं को हम तक पहुंचाने के लिए आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब दोहे
जवाब देंहटाएंहोली का रंग चढ़ गया भैया
आदरणीय पूर्णिमा जी एवं निर्मला जी ... सुन्दर दोहे पढवाने के लिए आपका बहुत शुक्रिया ... होली के रंगो से सराबोर शानदार प्रस्तुति ...
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