सभी साहित्य रसिकों का पुन: सादर अभिवादन
दोहा छन्द पर आधारित दूसरी समस्या पूर्ति के तीसरे चक्र में आप सभी का सहृदय स्वागत है| इस बार हम पढ़ेंगे चार ४ रचनाधर्मियों को| इन से आप लोग पहले भी मिल चुके हैं| समस्या पूर्ति के पहले अंक को शुरू करते वक्त जो कुछ शंकाएँ माइंड में थीं अब निर्मूल होने लगीं हैं| काफ़ी सारे लोग हैं जो आज भी छन्दों से न सिर्फ़ प्रेम करते हैं बल्कि उन पर प्रस्तुतियां देने के लिए भी आगे बढ़ कर आ रहे हैं| आदरणीया निर्मला कपिला जी ने तो नई पीढ़ी के लिए एक अनोखा एक्जाम्पल ही प्रस्तुत कर दिया है|
सरसों फूली खेत में, पागल हुई बयार|
मौसम पर यूँ छा गया, होली का त्यौहार|१|
होली के त्यौहार में, मिला पिया का संग|
गुलमोहर सा खिल गया, गोरी का हर अंग|२|
होली के त्यौहार में, बरसे रंग-गुलाल|
आँखों से बातें हुईं, सुर्ख हुए हैं गाल|३|
:-देव मणि पाण्डेय
मौसम पर यूँ छा गया, होली का त्यौहार|१|
होली के त्यौहार में, मिला पिया का संग|
गुलमोहर सा खिल गया, गोरी का हर अंग|२|
होली के त्यौहार में, बरसे रंग-गुलाल|
आँखों से बातें हुईं, सुर्ख हुए हैं गाल|३|
:-देव मणि पाण्डेय
जग को उल्लासित करे, होली का त्यौहार|१|
चंचल नयना मदभरे, पुरवा बाँटे प्यार|
संग चलूँगी साजना, गोरी कहे पुकार|२|
भंग नशे में नाचते, सारे बीच बजार|
हुरियारों को भा गया, होली का त्यौहार|३|
ढोल सड़क पर बज रही, सबमें प्यार दुलार|
भस्म करे सब दुश्मनी, होली का त्यौहार|३|
गुझिया मीठी रसभरी, बनें स्वाद अनुसार|
गुझिया मीठी रसभरी, बनें स्वाद अनुसार|
नये नये पकवान सा, होली का त्यौहार|४|
आमंत्रित है आप सब, सारा घर परिवार|
आमंत्रित है आप सब, सारा घर परिवार|
मित्र मंडली साथ ही, होली का त्यौहार|५|
होली के त्यौहार की, महिमा अपरम्पार|
सभी दिलों को जोड़ दे, होली का त्यौहार|६|
हमें नये रँग में रँगे, होली का त्यौहार|
फूले फले सदाचरण, हे प्रभुजी आभार|७|
अम्बरिष भाई पहली बार समस्या पूर्ति में शामिल हो रहे हैं| मैने इन के सवैया पढ़े हैं, बहुत ही मनोहारी सवैया लिखते हैं ये|
सुख देने फिर आ गया, होली का त्यौहार|१|
शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार|
प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार|२|
पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार|
सीख सिखाता है यही, होली का त्यौहार|३|
रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहार|
मेल कराने आ गया, होली का त्यौहार|४|
भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार|
छन्द शास्त्र को ले कर आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी और रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक' जी का योगदान अविस्मरणीय रहेगा साहित्य जगत में| ये दोनो ही अग्रज इस मंच पर अपने ज्ञान और अनुभव को बाँटने के लिए सदा ही उद्यत रहते हैं| अपने अर्जित ज्ञान और अनुभव को नई पीढ़ी को सौपने के इन के प्रयोजन के लए शत-शत नमन|
अपना सा ही पाओगे, तुम सारा संसार|१|
पिचकारी से प्यार की, कर कर के वौछार|
काम क्रोध मद लोभ को, होली में दो जार|२|
कंचन सब से मांगता , छोटा सा उपहार|
ऐसा बन्धु मनाइए , होली का त्यौहार|३|
:- कंचन बनारसी
उमा शंकर चतुर्वेदी उर्फ कंचन बनारसी जी इस मंच पर की पहली समस्या पूर्ति के पहले प्रस्तुति कर्त्ता हैं| आप की बेलाग और सीधी सपाट भाषा सहज ही आकर्षित करती है| बरास्ते रोला, कुण्डलिया जब यह मंच घनाक्षरी और सवैया पर पहुँचेगा तब तो कमाल ही करेंगे कंचन बनारसी जी|
होली के रंग में सराबोर इन सरस्वती पुत्रों का बारम्बार अभिनन्दन|
अगले हफ्ते इस समस्या पूर्ति का समापन करेंगे| आप सभी से पुन: विनम्र निवेदन है कि जल्द से जल्द अपने अपने दोहे navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें| इस समस्या पूर्ति की जानकारी वाली लिंक एक बार फिर रेडी रिफरेंस के लिए:- समस्या पूर्ति: दूसरी समस्या पूर्ति - दोहा - घोषणा|
एक और निवेदन -तीसरी समस्या पूर्ति का छंद है - "रोला"
तो सभी जानकार लोगों से सविनय अनुरोध है कि अपने-अपने आलेख यथा शीघ्र भेजने की कृपा करें|
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंविविध दोहे .. और गुणी जनो के ..पढ़ कर बहुत कुछ समझने को मिला...आपका आभार इस सुन्दर साईट के लिए...
जवाब देंहटाएंनवीन जी रोला के बारे मे कुछ बताएं...
नूतन जी यहाँ मैं एक विद्यार्थी की भूमिका में हूँ अब तक| आलेख हमारे संगी-साथी [अग्रज या अनुज] प्रस्तुत करते हैं| दूसरी समस्या पूर्ति के समापन पर एक एक कर के रोला के बारे में चर्चा आरंभ करेंगे|
जवाब देंहटाएंनवीन चतुर्वेदी जी!
जवाब देंहटाएंआप भारतीय काव्यशास्त्र के उत्थान हेतु महत्वपूर्म कार्य कर रहे हैं!
होली के त्यौहार पर दोहों की बरसात
जवाब देंहटाएंरंगीले सब हो गये कविओं की क्या बात
सब के दोहे एक से बढ कर एक हैं। नवीन जी आपका प्रयास सफल रहा।
देव मणि जी, अम्बरीश जी शात्री जी और कंचन बनारसी जी को बहुत बहुत बधाई।
आदरणीय शास्त्री जी एवम् आदरणीया निर्मला जी आप जैसे अग्रजों के सहयोग से यह प्रयास गति को प्राप्त हुआ है| और निर्मला जी की तो टिप्पणी भी अब दोहे में ही आई है, बहुत खूब| आशा करता हूँ कि तीसरी समस्या पूर्ति में कुछ और नये लोग भी जुड़ें इस आयोजन से|
जवाब देंहटाएंहोलीमय सभी दोहे खूब पसंद आ रहे हैं
जवाब देंहटाएंअम्बरीश जी ने लगभग सभी दोहों में "होली का त्यौहार" को प्रयोग किया जो विशेष पसंद आया