एक बार फिर से सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
ये पिछली बार की होली और दोहा छंदों की वो अनवरत वर्षा तो सदा सदा के लिए स्मृति में दर्ज हो गयी| पिछली पोस्ट में हमने रोला छंद के बारे में बातें कीं| उस के बाद शास्त्री जी और पुर्णिमा जी ने सुझाव दिया कि भाई दोहा और रोला की चर्चा के बाद, रोला छन्द की बजाय सीधे कुंडली छंद पर ही रचनाएँ आमंत्रित करो ना......
बात तो दोनों ही अग्रजों ने सही कही| तो अलग से रोला छन्द की बजाय सीधे कूच करते हैं कुंडली उर्फ कुण्डलिया की तरफ| हमें नहीं लगता कि भारतीय जन-मानस के सबसे चहेते छंदों में से एक इस छंद के बारे में कुछ बताने की आवश्यकता है, फिर भी शास्त्री जी की आज्ञा के मुताबिक थोड़ा बहुत लिख देते हैं| और साथ ही इसी पोस्ट में समस्या पूर्ति की घोषणा भी कर देते हैं|
कुंडली उर्फ कुण्डलिया छन्द
प्रख्यात कवि 'गिरिधर' जी की कुण्डलियों से भला कौन अनभिज्ञ है| आइए उन की ही एक कुंडली को पढ़ते हैं और उसी कुण्डलिया के ज़रिए इस छन्द के विधान को समझते हैं|
साईं बैर न कीजियै; गुरु, पण्डित, कवि, यार|
२२ २१ १ २१२=१३/ ११ ११११ ११ २१=११
बेटा, बनिता, पौरिया, यज्ञ करावन हार||
२२ ११२ २१२ = १३ / २१ १२११ २१ = ११
यज्ञ करावन हार, राज मंत्री जो होई|
२१ १२११ २१ = ११ / २१ २२ २ २२ = १३
जोगी, तपसी, बैद, आप कों तपें रसोई|
२२ ११२ २१ = ११ / २१ २ १२ १२२ = १३
कहँ गिरिधर कविराय, जुगन सों यों चल आई|
११ ११११ ११२१ =११ / १११ २ २ ११ २२ = १३
इन तेरह कों तरह, दिएं बन आवै साईं||
११ २११ २ १११=११/ १२ ११ २२ २२ = १३
उपरोक्त कुण्डलिया को पढ़ कर प्रतीत होता है कि:
१. ये मात्रिक छन्द है|
२. पहली दो पंक्ति दोहा की हैं|
३. तीसरी से छठी पंक्ति रोला की हैं|
४. दोहे के आख़िरी चरण का रोला का प्रथम चरण बनना अनिवार्य|
५. रोला चार चरण का होता है| रोला छंद के बारे में जानकारी इस के पहली पोस्ट में दी हुई है ही| अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें|
५. कुण्डलिया के शुरू और अंत के शब्द समान होने चाहिए| प्राचीन काल से इस छन्द को यूँ ही लिखा गया है| जैसे कि गिरिधर कविराय जी की ऊपर की कुंडली में 'साईं' शब्द छन्द के शुरू और आखिर में आ रहा है|
और अब समस्या पूर्ति की घोषणा
इस बार समस्या पूर्ति की पंक्ति के बजाय हम ले रहे हैं तीन शब्द|
सभी सम्माननीय रचनाधर्मियों से सविनय निवेदन है कि वे अपनी रुचि के अनुसार किसी एक शब्द को ले कर एक या एक से अधिक शब्दों को लेते हुए एक से अधिक कुण्डलिया छन्द प्रस्तुत करें| जो भी शब्द लें वह उस कुंडली छंद के शुरू और आखिर में दोनों जगह आना चाहिए|
तीन शब्द :-
१. कम्प्यूटर
२. सुन्दरियाँ
३. भारत
सभी साहित्य रसिकों से सविनय निवेदन है कि वे अपनी अपनी रचनाएँ navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें|
बहुत बढ़िया जानकारी... पारंपरिक काव्य विधा के बारे में.. कोशिश करूँगा लिखने की...
जवाब देंहटाएंहिन्दी छंदों की ओर फिर से रुझान पेदा करने का आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है। मेरे अंदर भी कुछ भाव जागने लगे हैं।
जवाब देंहटाएंक्या ये कुँडली ठीक है (बॉंचें और बतायें):
सांई बैर न कीजियै; कम्प्यूटर से यार|
बेटा, बनिता, पौरिया, सबको इनसे प्यार||
सबको इनसे प्यार, गेम खेले हर कोई|
जोगी, तपसी, बैद, सभी ने गाथा गोई|
कहँ 'राही' कविराय, विपद् ऐसी है आई|
कम्प्यूटर को देख, भूल बैठे सब सांई||
इस बार मौका नहीं चूकेंगे :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अरुण भाई, आप की प्रस्तुति कि प्रतीक्षा रहेगी
जवाब देंहटाएंवीनस भाई आप के इतने सुंदर नवगीत को पढ़ने के बाद अब तो मैं खुद आप को छोड़ने वाला नहीं
जवाब देंहटाएंतिलक भाई साब आप के जीवट की प्रशंसा करनी होगी
जवाब देंहटाएंआप की कुण्डलिया की प्रतीक्षा रहेगी
समस्या पूर्ति के शब्दों को कुंडली छंद के शुरू और आखिर में रखिएगा
आभार जानकारी का...लाते हैं अपनी रचना.
जवाब देंहटाएंबिलकुल बिलकुल समीर भाई, आप की कुंडलिया पढ़ने के लिए मैं आतुर हूँ
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसमीर भाई और अंन्य सभी साहित्य रसिकों से निवेदन है कि अपनी प्रस्तुतियाँ यहाँ न दे कर navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें| आप सभी की रचनाओं को क्रमवार पूर्व की भांति एक एक कर के प्रकाशित किया जाएगा और उन रचनाओं पर पाठक गण अपनी अपनी टिप्पणियाँ भी वहीं पर देंगे|
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंओह!! आपका कमेंट बाद में देखा..इन्हें मिटा कर अपने पास अलग से रख लिजिये, प्लीज..नवीन भाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी...
जवाब देंहटाएंआभार दिगंबर नासवा भाई
जवाब देंहटाएंनवीन भाई आपका प्रयास प्रशंसनीय है। जो भी छंद पढ़े थे सब भूल गया था आपने दुबारा याद दिला दिया। बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअरे धरम प्रा जी आप और छन्द भूलेंगे, क्यूँ इस गरीब का मज़ाक उड़ा रहे हैं बन्धु ................. आप की कुंडलियाएँ मिल गयी हैं, आभार
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें.
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