सम्माननीय साहित्य रसिको
आइए इस बार पढ़ते हैं आज के दौर के नौजवान रचनाधर्मी बन्धु राणा प्रताप सिंह जी को| इलाहाबाद में जन्मे राणा प्रताप जी वायु सेना में कार्य रत हैं| आप अपना एक ब्लॉग [http://www.rp-sara.blogspot.com] भी चलाते हैं| शे'रोशायरी के जबरदस्त शौकीन राणा प्रताप जी ने हिन्दुस्तानी छंद साहित्य सेवा के उद्देश्य से इस समस्या-पूर्ति में भाग लेते हुए अपनी प्रस्तुति भेजी है|
मुझसे कटे कटे रहते हो|
औरों संग अविरल बहते हो|
सबके नाज उठाते हो तुम|
पर मुझको तरसाते हो तुम|१|
जितना मुझको तरसाओगे|
उतना निकट मुझे पाओगे|
तुम में 'मैं', मुझमें 'तुम', जानो|
मुझसे 'तुम', तुमसे 'मैं', मानो|२|
मिट जायेगा भेद हमारा|
जैसे गंग जमुन जल धारा|
हो मेरी स्मृतियों में गुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|३|
देर से आने वाले साहित्य रसिकों को फिर से बताना चाहूँगा कि:-
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
अधिक जानकरी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है|इस आयोजन को गति प्रदान करने हेतु सभी साहित्य सेवियों से सविनय निवेदन है कि अपना अपना यथोचित योगदान अवश्य प्रदान करें| अपनी रचनाएँ navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें|
पहले समस्या पूर्ति के बार में और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:- समस्या पूर्ति: पहली समस्या पूर्ति - चौपाई
आइए इस बार पढ़ते हैं आज के दौर के नौजवान रचनाधर्मी बन्धु राणा प्रताप सिंह जी को| इलाहाबाद में जन्मे राणा प्रताप जी वायु सेना में कार्य रत हैं| आप अपना एक ब्लॉग [http://www.rp-sara.blogspot.com] भी चलाते हैं| शे'रोशायरी के जबरदस्त शौकीन राणा प्रताप जी ने हिन्दुस्तानी छंद साहित्य सेवा के उद्देश्य से इस समस्या-पूर्ति में भाग लेते हुए अपनी प्रस्तुति भेजी है|
मुझसे कटे कटे रहते हो|
औरों संग अविरल बहते हो|
सबके नाज उठाते हो तुम|
पर मुझको तरसाते हो तुम|१|
जितना मुझको तरसाओगे|
उतना निकट मुझे पाओगे|
तुम में 'मैं', मुझमें 'तुम', जानो|
मुझसे 'तुम', तुमसे 'मैं', मानो|२|
मिट जायेगा भेद हमारा|
जैसे गंग जमुन जल धारा|
हो मेरी स्मृतियों में गुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|३|
देर से आने वाले साहित्य रसिकों को फिर से बताना चाहूँगा कि:-
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
अधिक जानकरी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है|इस आयोजन को गति प्रदान करने हेतु सभी साहित्य सेवियों से सविनय निवेदन है कि अपना अपना यथोचित योगदान अवश्य प्रदान करें| अपनी रचनाएँ navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें|
पहले समस्या पूर्ति के बार में और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:- समस्या पूर्ति: पहली समस्या पूर्ति - चौपाई
बहुत अच्छी चौपाइयां हैं आपकी. बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंवाह वाह हे राणा भाई । ग़ज़ल गीत औ’ अब चौपाई॥
जवाब देंहटाएंछुपा छुपा सब रखते हो तुम । सबको अच्छे लगते हो तुम॥
Wah janaab aakanth chaupai paan kara diya..
जवाब देंहटाएंआदरणीय SD Tiwaari जी, धर्मेद्र भैया और अजित जी आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद। नवीन भैया मेरी चौपाइयों को स्थान देने के लिये आभार।
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