पहली समस्या पूर्ति - चौपाई - धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन' जी
सम्माननीय साहित्य रसिको
आइए आज पढ़ते हैं मित्र धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन' जी को| आप की 'सज्जन की मधुशाला' [http://sajjankimadhushala.blogspot.com] ने काफ़ी प्रभावित किया है| आपका कल्पना लोक {http://dkspoet.blogspot.com] भी काफ़ी रुचिकर है| आइए पढ़ते हैं कि समस्या पूर्ति की पंक्ति 'कितने अच्छे लगते हो तुम' को कितने प्रभावशाली और रोचक ढँग से पिरोया है आपने अपने कथ्य में|
नन्हें मुन्हें हाथों से जब ।
छूते हो मेरा तन मन तब॥
मुझको बेसुध करते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम |१|
रोम रोम पुलकित करते हो।
जीवन में अमृत भरते हो॥
जब जब खुलकर हँसते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम |२|
पकड़ उँगलियाँ धीरे धीरे।
जब जीवन यमुना के तीरे|
'बाल-कृष्ण' से चलते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम।३|
देर से आने वाले साहित्य रसिकों को फिर से बताना चाहूँगा कि:-
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
अधिक जानकरी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है|
सभी साहित्य रसिकों का पुन: ध्यनाकर्षण करना चाहूँगा कि मैं स्वयँ यहाँ एक विद्यार्थी हूँ, और इस ब्लॉग पर सभी स्थापित विद्वतजन का सहर्ष स्वागत है उनके अपने-अपने 'ज्ञान और अनुभवों' को हम विद्यार्थियों के बीच बाँटने हेतु| इस आयोजन को गति प्रदान करने हेतु सभी साहित्य सेवियों से सविनय निवेदन है कि अपना अपना यथोचित योगदान अवश्य प्रदान करें| अपनी रचनाएँ navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें|
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नन्हें मुन्हें हाथों से जब ।
छूते हो मेरा तन मन तब॥
मुझको बेसुध करते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम |१|
रोम रोम पुलकित करते हो।
जीवन में अमृत भरते हो॥
जब जब खुलकर हँसते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम |२|
पकड़ उँगलियाँ धीरे धीरे।
जब जीवन यमुना के तीरे|
'बाल-कृष्ण' से चलते हो तुम।
कितने अच्छे लगते हो तुम।३|
देर से आने वाले साहित्य रसिकों को फिर से बताना चाहूँगा कि:-
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
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बाल कृष्ण को चलते देखा ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर है कविता की रेखा ॥
राम कृष्ण क्या कोई बच्चा ।
चलत बकइयां लगता अच्छा ॥
ऐसी रचना रचते हो तुम ।
मुझको अच्छे लगते हो तुम ॥
उमाशंकर भाई आपका टिप्पणी देने का अंदाज भी निराला है
जवाब देंहटाएंउमाशंकर जी के आशीर्वाद देने का तरीका ही निराला। उनका आशीर्वाद मिला ये चौपाइयाँ धन्य हुईं।
जवाब देंहटाएंvery nice post
जवाब देंहटाएंLyrics Mantra
Music Bol
धरमेंदर भाई की रचना
जवाब देंहटाएंइनकी शैली का क्या कहना
दिल से रचना करते हो तुम
कितने अच्छे लगते हो तुम
धर्मेन्द्र जी ने तो वात्सल्य भरपूर भर दिया लेकिन कंचन जी तो अप्रतिम और विलक्षण हैं ।ये अहर्निश सृजनशीलता --प्रणम्य है ।
जवाब देंहटाएंहरमन जी, शेषधर जी और मयंक जी आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
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