पहली समस्या पूर्ति - चौपाई - आचार्य श्री संजीव वर्मा 'सलिल' जी
सम्माननीय साहित्य रसिको
आचार्य श्री संजीव वर्मा 'सलिल' जी ने इस समस्या पूर्ति 'कितने अच्छे लगते हो तुम' को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए, अपनी रचना भेजी है| विस्मय की बात है कि आचार्य जी ने 'चूहे' जैसे विषय पर समस्या की पूर्ति की है, जो कि सहज प्रशंसनीय है| आप लोग भी इस अद्भुत कृति का आनंद लीजिएगा:-
कितने अच्छे लगते हो तुम |
बिना जगाये जगते हो तुम ||
नहीं किसी को ठगते हो तुम |
सदा प्रेम में पगते हो तुम ||
दाना-चुग्गा मंगते हो तुम |
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||
आलस कैसे तजते हो तुम?
क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?
चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |
बिल्ली से डर बचते हो तुम ||
क्या माला भी जपते हो तुम?
शीत लगे तो कँपते हो तुम?
सुना न मैंने हंसते हो तुम |
चूजे भाई! रुचते हो तुम |
आचार्य जी स्वयं भी एक ब्लॉग चलाते हैं| उन के ब्लॉग का पता है:- http://divyanarmada.blogspot.com
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
अधिक जानकरी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है|
सभी साहित्य रसिकों का पुन: ध्यनाकर्षण करना चाहूँगा कि मैं स्वयँ यहाँ एक विद्यार्थी हूँ, और इस ब्लॉग पर सभी स्थापित विद्वतजन का सहर्ष स्वागत है उनके अपने-अपने 'ज्ञान और अनुभवों' को हम विद्यार्थियों के बीच बाँटने हेतु| इस आयोजन को गति प्रदान करने हेतु सभी साहित्य सेवियों से सविनय निवेदन है कि अपना अपना यथोचित योगदान अवश्य प्रदान करें|
सम्माननीय साहित्य रसिको
आचार्य श्री संजीव वर्मा 'सलिल' जी ने इस समस्या पूर्ति 'कितने अच्छे लगते हो तुम' को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए, अपनी रचना भेजी है| विस्मय की बात है कि आचार्य जी ने 'चूहे' जैसे विषय पर समस्या की पूर्ति की है, जो कि सहज प्रशंसनीय है| आप लोग भी इस अद्भुत कृति का आनंद लीजिएगा:-
कितने अच्छे लगते हो तुम |
बिना जगाये जगते हो तुम ||
नहीं किसी को ठगते हो तुम |
सदा प्रेम में पगते हो तुम ||
दाना-चुग्गा मंगते हो तुम |
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||
आलस कैसे तजते हो तुम?
क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?
चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |
बिल्ली से डर बचते हो तुम ||
क्या माला भी जपते हो तुम?
शीत लगे तो कँपते हो तुम?
सुना न मैंने हंसते हो तुम |
चूजे भाई! रुचते हो तुम |
आचार्य जी स्वयं भी एक ब्लॉग चलाते हैं| उन के ब्लॉग का पता है:- http://divyanarmada.blogspot.com
समस्या पूर्ति की पंक्ति है : - "कितने अच्छे लगते हो तुम"
छंद है चौपाई
हर चरण में १६ मात्रा
अधिक जानकरी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है|
सभी साहित्य रसिकों का पुन: ध्यनाकर्षण करना चाहूँगा कि मैं स्वयँ यहाँ एक विद्यार्थी हूँ, और इस ब्लॉग पर सभी स्थापित विद्वतजन का सहर्ष स्वागत है उनके अपने-अपने 'ज्ञान और अनुभवों' को हम विद्यार्थियों के बीच बाँटने हेतु| इस आयोजन को गति प्रदान करने हेतु सभी साहित्य सेवियों से सविनय निवेदन है कि अपना अपना यथोचित योगदान अवश्य प्रदान करें|
बहुत - बहुत धन्यवाद के साथ -
जवाब देंहटाएंचूहे जैसा विषय उठाया ।
सबके दिल को है हरषाया ॥
आचार्य वर्मा श्री संजीव ।
विषय काव्य का नन्हा जीव ॥
ऐसी रचना रचते हो तुम ।
मुझको अच्छे लगते हो तुम ॥
आचार्य जी का तो वाकई कोई जवाब नहीं है। और उनकी यह रचना ‘चूहे’ पर नहीं ‘चूजे’ पर है।
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र भाई टंकण दोष के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ| आपकी पैनी नज़र को सलाम मित्र|
जवाब देंहटाएंआचार्य जी का विषय "विशिष्ट" है --भाषाप्रवाहमयी है और प्रस्तुति सरस है --मैं आप सभी बुद्धिजीवियों को नमन करता हूँ -"काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम" --आप लोग आनन्द लें --मैं तो खैनी दाब के अब निद्राग्रस्त होने जा रहा हूँ
जवाब देंहटाएंचूहे-चूजे को मिला, हैं नवीन जी मस्त.
जवाब देंहटाएंसज्जन कंचन मिल रखें, सलिल-शीश पर हस्त.
ज्यों मयंक बिन ज्योत्सना, हो जाती है त्रस्त.
चौपाई-दोहे बिना त्यों, कविता हो लस्त..
नवीन जी!
जवाब देंहटाएंस्थानांतरण से उपजी अस्त-व्यस्तता के कारण नियमित उपस्थिति संभव नहीं हो पा रही है. फिर भी यथासंभव जुड़े रहने का प्रयास है. प्रविष्टियों पर तत्काल या बीच में टीप न कर समस्यापूर्ति का विश्लेषण अंत में आप करें और हर प्रविष्टि की खूबी और खामी का विवेचन करें. इससे प्रविष्टिकारों को मार्गदर्शन मिलेगा. मेरी चौपाई की समस्यापूर्ति की विशेषता हर चरण में 'ते हो तुम' की पदांतत -तुकांतता बनाये रखना है.
नियमानुसार आप बता ही चुके हैं कि चौपाई १६ मात्राओं के चार चरणों (पहले-दूसरे चरणों के अंत में समान शब्द आते हैं और तीसरे-चौथे चरणों के अंत में समान शब्द) से बनती है. यह एक अभिनव प्रयोग है जो चौपाई के शैल्पिक नियमों के अंतर्गत अनिवार्य नहीं है. यहाँ चौपाई और मुक्तिका के शैल्पिक नियमों के सम्मिश्रण से 'ते हो तुम' के दुहराव से नाद सौन्दर्य में वृद्धि हुई है. विषय विशेष पर केन्द्रित होना इस प्रविष्टि का अन्य वैशिष्ट्य है. सामान्यतः चौपाई के विविध चरण विविध विषयों से सम्बद्ध होते हैं.
rochak laga aapka prayas .fir aate hai yahan .
जवाब देंहटाएंवाह। सचमुच आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक...
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