अंतरजाल पर आज कौन नहीं जानता आदरणीय श्री रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक' जी को| चर्चा मंच, उच्चारण, शब्दों का दंगल, बच्चों की दुनिया जैसे कई सारे ब्लॉग्स के अलावा उन का ब्लॉग अग्रिगेटर ब्लाग मंच भी काफ़ी लोक प्रिय है| शुभेच्छा स्वरूप भेजी गयी आपकी चौपाइयों का रसास्वादन करते हैं हम:-
भुवन भास्कर बहुत दुलारा।
मुख मंडल है प्यारा-प्यारा।।
सुबह-सुबह जब जगते हो तुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|१|
श्याम-सलोनी निर्मल काया।
बहुत निराली प्रभु की माया।।
जब भी दर्श तुम्हारा पाते।
कली सुमन बनकर मुस्काते|२|
कोकिल इसी लिए है गाता।
स्वर भरकर आवाज लगाता।।
जल्दी नीलगगन पर आओ।
जग को मोहक छवि दिखलाओ|३|
मुख मंडल है प्यारा-प्यारा।।
सुबह-सुबह जब जगते हो तुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|१|
श्याम-सलोनी निर्मल काया।
बहुत निराली प्रभु की माया।।
जब भी दर्श तुम्हारा पाते।
कली सुमन बनकर मुस्काते|२|
कोकिल इसी लिए है गाता।
स्वर भरकर आवाज लगाता।।
जल्दी नीलगगन पर आओ।
जग को मोहक छवि दिखलाओ|३|
पूज्य पिताजी श्री छोटू भाई चतुर्वेदी जी इस आयोजन के बारे में जान कर बहुत ही प्रसन्न हुए| आशीर्वाद स्वरूप उन्होने भी चार चौपाइयाँ भेजी हैं:-
हर युग के इतिहास ने कहा|
भारत का ध्वज उच्च ही रहा|
सोने की चिड़िया कहलाया|
सदा लुटेरों के मन भाया|१|
पर, सपूत भारत के सच्चे|
माता शाकुन्तल के बच्चे|
कभी शिवा, राणा, सावरकर|
साथ लिए नेताजी लश्कर|२|
बिस्मिल अब्दुल नैरोजी सँग|
वीर भगत, आज़ाद रँगे रँग|
खूब लडी थी लक्ष्मी बाई|
अँग्रेज़ों ने मुँह की खाई|३|
सदा सदा ही चमके हो तुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|
रस बन कर भव-सर में बहना|
आपस में हिल मिल कर रहना|४|
भारत का ध्वज उच्च ही रहा|
सोने की चिड़िया कहलाया|
सदा लुटेरों के मन भाया|१|
पर, सपूत भारत के सच्चे|
माता शाकुन्तल के बच्चे|
कभी शिवा, राणा, सावरकर|
साथ लिए नेताजी लश्कर|२|
बिस्मिल अब्दुल नैरोजी सँग|
वीर भगत, आज़ाद रँगे रँग|
खूब लडी थी लक्ष्मी बाई|
अँग्रेज़ों ने मुँह की खाई|३|
सदा सदा ही चमके हो तुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम|
रस बन कर भव-सर में बहना|
आपस में हिल मिल कर रहना|४|
पूज्य पिताजी की इन चौपाइयों के साथ समापन करते हैं पहली समस्या पूर्ति का|
जल्द ही बतियाना शुरू करेंगे दूसरी समस्या पूर्ति के बारे में|
पहली समस्यापूर्ति सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
उत्कृष्ट चौपाइयों के साथ समापन के लिए रचनाकारों को एवं नवीन भाई को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबधाई हो नवीन जी... ! शुभकामनायें .. कि यह समस्या पूर्ति का मंच समस्याओं की पूर्ति करे और धोहो छंदों के लिए जाना जाए,... रूप चन्द्र जी के और श्री चतुर्वेदी जी के छंद मन को बहुत भाये ... सादर
जवाब देंहटाएंरूप चन्द्र जी के और श्री चतुर्वेदी जी के छंद बहुत अच्छे लगी। सार्थक प्रयास है इस विधा को आगे ले जाना। आभार।
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