सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
माहौल दिवाली मय होने लगा है सारे हिन्दुस्तान में| दीपावली पर्व की तैयारियाँ सब जगह जोरों पर हैं| होली और दीवाली इन दो पर्वों की धूम तो सारे हिन्दुस्तान में रहती है| हरिगीतिका छंद आधारित समस्या पूर्ति आयोजन के अगले चक्र में आज हम पढ़ते हें सुरेन्द्र भाई के मनोहारी छंद
त्यौहार
मातेश्वरी तेरी कृपा की, दृष्टि यदि हो जाएगी |
त्यौहार जैसी जिन्दगी की, हर घड़ी हो जाएगी ||
तू है जगत की जानकी माँ, हम तिहारे लाल हैं |
कर दे कृपा मैया हमारी, हम बहुत बेहाल हैं |१|
कसौटी
अपनी भला औकात क्या? जो, तव कसौटी पर चढ़ें |
नादान, अवगुण-खान हम किस, राह पर जननी बढ़ें ||
हे ज्योति ! जीवन को हमारे, ज्योतिमय कर दीजिये |
अपने पदाम्बुज में जननि हे ! शरण हमको दीजिये |२|
प्रार्थना
सन्मार्ग पर चलते रहें माँ, जिन्दगी हो व्यर्थ ना |
नित राष्ट्र सेवा रत रहें, अम्बे यही है प्रार्थना ||
हर आदमी इक दूसरे के, सुख व दुख में साथ हो |
जग में हिमालय की तरह निज, हिंद उन्नत-माथ हो |३|
सुरेन्द्र जी इस समय स्वास्थ्य को ले कर परेशान हैं, फिर भी छंद साहित्य की सेवा के लिए न सिर्फ उन्होंने अपने छंद भेजे हैं बल्कि टिप्पणियों के माध्यम से भी लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं| सब से पहले हमने इन के कुण्डलिया छंद पढ़े थे, फिर घनाक्षरी छंद और अब हरिगीतिका छंद| इन के ब्लॉग के नियमित पाठक जानते हें, काव्य की विविध विधाओं में सिद्धहस्त सुरेन्द्र भाई भावों को बड़े ही सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त करते हैं| 'हम बहुत बेहाल हैं' - जगत्जननी माँ का स्वयं को लाल बताने वाले की प्रार्थना ऐसी ही होनी चाहिए| इस में कोइ लाग लपेट नहीं है, कोइ फोर्मलिटी नहीं है न करुणा का अतिवाद ही| एक बच्चा जैसे अपनी माँ से बात कर रहा हो, ठीक वैसे ही व्यक्त किया गया है इन छंदों में मनोभावों को, और यही विशिष्टता भी है|
सुरेन्द्र भाई के छंदों का आप लोग आनंद लें,अपनी टिप्पणियों की बरसात करें, और हम तैयारी करते हें अगली पोस्ट की|
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दो खुशियाँ आप सभी के साथ साझा करनी थीं| एक तो ये कि हमारे-आपके सम्यक छान्दसिक प्रयासों से प्रेरणा पा कर एक और कवयित्री ऋता शेखर 'मधु' ने छंदों में रुझान व्यक्त किया है, जो कि आज के शेरोशायरी प्रधान दौर में बहुत बड़ी बात है| दूसरी ये कि हमारे एक और साथी आ. सौरभ पाण्डेय जी ने समस्या पूर्ति से जुड़ने के बाद, समस्या पूर्ति के आयोजन के अतिरिक्त भी छंद लिख कर भेजे हें, वो भी ऐसा वैसा नहीं, सांगोपांग सिंहावलोकन छंद| एक दो दिन में ये छंद ठाले बैठे पर वातायन के अंतर्गत प्रकाशित होंगे| आप पढने आइयेगा अवश्य, ठाले बैठे की पोस्ट की मेल नहीं भेज रहा मैं आज कल| स्नेही स्वयँ आते हैं, पढ़ते हैं और अपनी यथेष्ट राय भी व्यक्त करते हैं|
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जय माँ शारदे!
बहुत सुन्दर वंदन..
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंपरम स्नेही सुरेन्द्र जी के लिखे छंद पढ़ कर आनंदानुभूति हुई ।
तीनों हरिगीतिकाएं एक से बढ़कर एक हैं … लेकिन कसौटी में समाहित विनम्रता के भाव ने मन मोह लिया ।
अवश्य ही सुरेन्द्र जी सिद्धहस्त छंदसाधक होने के कारण मेरे प्रिय रचनाकारों में से एक हैं ।
आप शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हों … मातेश्वरी से यही प्रार्थना है … … …
ख़ुशियां साझा करने के लिए नवीन जी आपका हृदय से आभार !
ऋता शेखर 'मधु'जी हाइकु और हाइगा के लिए जानी जाती हैं , उनकी हरिगीतिकाएं पढ़ने का अपना ही आनंद होगा … :)
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी जैसे समर्थ रचनाकार को पढ़ना मुझे हमेशा भाता है … मुझे ख़ुशी है मेरे प्रति भी उनका असीम स्नेह है … आभार ! आपके छंद पढ़ने के लिए लालायित रहूंगा … सच !
आप सब को सपरिवार
दीपावली की बधाइयां !
शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
एक से बढ़कर एक ||
जवाब देंहटाएंत्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जला |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चला चला ||
बहुत बहुत आभार ||
नवीनजी, सुरेन्द्रजी को मैंने आप ही के सौजन्य से सुना-पढ़ा है और उनके छंद-रस और ओज से भरी हुई रचनाओं में भरपूर डूबा हूँ. आपके प्रस्तुत तीनों ही छंद कसे हुए, स्पष्ट और मुखर हैं. छंदों में प्रयुक्त शब्दों में आवश्यक भावों को संप्रेषित करने का यथोचित सामर्थ्य है. ’मैया हमारी, हम बहुत बेहाल है” के माध्यम से आर्त को अद्बुत प्रवाह के साथ व्यक्त होते देखना भावुक कर गया. सुरेन्द्रजी के स्वास्थ्य के लिये परमपिता से करबद्ध प्रार्थना तथा प्रस्तुत छंदों के लिये हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंनवीनजी, आपकी सूचना ने मुझे भी उत्साहित किया है. सत्संग का फल दूरगामी होता है. इस साहचर्य और परस्पर सहकार का सभी को सकारात्मक प्रतिफल सुलभ हो.
ऋता शेखर ’मधु’ जी को छंदों में पढ़ना सुखकर होगा.
भाई राजेन्द्र जी को मेरा अभिनन्दन.
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
BHAVABHIVYAKTI ATI MARMSPARSHEE HAI . BADHAAEE
जवाब देंहटाएंAUR SHUBH KAMNA .
बहुत सुन्दर प्रार्थना ... सारे छंद एक से बढ़ कर एक
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, रसपूर्ण एवं माधुर्य से भरपूर छंद हैं सभी ! सुरेन्द्र जी को बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंHame to padh ke aanand aaya........bahut achhi rachnaaye hai......
जवाब देंहटाएंमातेश्वरी तेरी कृपा की, दृष्टि यदि हो जाएगी |
जवाब देंहटाएंत्यौहार जैसी जिन्दगी की, हर घड़ी हो जाएगी ..
वाह कितना मधुर छंद है ... सुरेन्द्र जी के चाँद ह्रदय में उतर गए ... आशा है उन्हें शीघ्र स्वस्थ लाभ हो और वो भले चंगे हो जाएं ...
नवीन जी ...बहुत-बहुत आभार मेरे छंदों को प्रस्तुत करने के लिए ..
जवाब देंहटाएंभाई राजेन्द्र जी सहित सभी सिद्धहस्त लेखकों/रचनाकारों का हार्दिक आभार जो मेरी रचना को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्पड़ियों से मेरा उत्साहवर्धन करते आ रहे हैं |
बधुओं , हर्ष की बात है कि मैं अब बिलकुल स्वस्थ हूँ | फोर्टिस हॉस्पिटल चंडीगढ़ से सम्पूर्ण शरीर(अन्दर-बाहर) की जांच करवाकर कल लौटा हूँ , कोई भी बीमारी नहीं निकली | आप सब के प्यार और स्नेह का सदैव आकांक्षी हूँ |
श्री सुरेंद्र सिंह जी के सभी हरिगीतिका छंद उत्तम हैं।
जवाब देंहटाएंहृदय और आत्मा से निकले भाव और शब्द ऐसे ही प्रियकर होते हैं।
उन्हें बहुत-बहुत बधाई !
वाणी वंदना और वो भी हरिगीतिका छंद में, कमाल है भाई। तीनों ही छंद मनोहारी हैं। बहुत बहुत बधाई सुरेंद्र जी को
जवाब देंहटाएं--सुंदर छंद सुरेन्द्र के ---बधाई ....
जवाब देंहटाएं---- हाँ कुछ मात्रा दोष देखें, अंत भी दीर्घ-दीर्घ होगया है ...
मातेश्वरी तेरी कृपा की, दृष्टि यदि हो जाएगी | ...=१३ मात्राएँ
त्यौहार जैसी जिन्दगी की, हर घड़ी हो जाएगी || ...=१३ मात्राएँ
---यदि "जायगी" किया जाय तो दोनों दोष ठीक होजाते हैं ..
झंझट! नहीं झंझट अगर तो ज़िंदगी ही व्यर्थ है.
जवाब देंहटाएंझंझट बिना संसार में बाकी न कोई अर्थ है..
हरिगीतिका रचकर नया बल 'सलिल' मन में पा रहा-
झंझट का कर वंदन लिखी हरिगीतिका मुस्का रहा..
सभी के सभी छंद एक से बढ़कर एक हैं आदरणीय झंझट साहिब, दिल से आपको बधाई देता हूँ !
जवाब देंहटाएंत्यौहार -प्रार्थना -कसौटी !! सभी में मातृ शक्ति के प्रति अहर्निश आदर भाव प्रस्तुत हुआ है -- यह संसारगत चेतना से आता है !! झंझट साहब माँ जननी इन शब्दो की पुनरावृत्ति बहुत सहज आयी है आपके छन्दो में बहुत पसन्द आये आपके सभी छन्द --शुभकामनायें !!
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